रमजानुल मुबारक की राते कीमती –नुरानी होती है
इन रातो मे इबादत, मौला का ध्यान जमाने, कुर आन की तिलावत
करने पैगम्बर साहब पर दुरुद पढने मे जगाना तो नेकी और अच्छाई है,
लेकिन रात मे गश्त, होटलों के चक्कर लगाना, चौराहे पर गप शप
करना अच्छाई नहीं है
रात में तहज्जुद पढ़कर दुआ करनी चाहिए
मुफ़्ती मोहमद जाकिर मुफ़्ती शहर जयपुर
सिलह रहमी ज्यादा मॉल का जरिया
हदीस शरीफ में है तुम लोग अपने नासबो (रिश्तेदारो) को याद
रखो, रिश्तेदार से अच्छा सलूक करते रहो, क्योकि रिश्तेदारो के साथ अच्छा सलूक करना
खान दान में मोहब्बत मॉल में ज्यादती और उम्र में बरकत अता फरमाता है
मुफ़्ती अब्दुल सत्तार साहब मुफ़्ती शहर अहले सुन्नत
इफ्तार के वक़्त कुबूल होती है दुआ
नबी ए करीम सल्ल का इरशाद है की रमजानुल मुबारक के हर रात व् दिन में अल्लाह के यहाँ से जहन्नुम के कैदी
छोड़े जाते है और हर मुसलमान के लिए एक दुआ कुबूल होती है कुछ रिवायत में है कि
इफ्तार के वक़्त दुआ कुबूल होती नबी करीम सल्ल का इरशाद है तीन
आदमियों की दुआ रद्द नहीं होती
पहली रोजेदार की इफ्तार के वक़्त
दूसरी आदिल बादशाह की ओर
मजलूम की दुआ
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